मारने वाले से बचाने वाले का अधिकार ज्यादा हैं
देवदत्त ने हंस में एक बाण मारा, बाण लगते ही हंस तड़फड़ा कर उड़ते-उड़ते सिद्धार्थ के पास आ गिरा। उसे देखते ही सिद्धार्थ आँसू बहाते हुए उठाकर उपचार करने लगे। इतने में देवदत्त ने आकर अपना शिकार सिद्धार्थ से माँगा, किन्तु सिद्धार्थ ने देने से इन्कार कर दिया। जब विवाद ने झगड़े का रुप ले लिया तो दोनों राजा के पास पहुँचे और अपना-अपना पक्ष सामने रखकर न्याय की माँग की। राजा ने निर्णय दिया-’इस पक्षी पर मारने वाले की अपेक्षा बचाने वाले का अधिकार अधिक है।’अब सिद्धार्थ ने उस पक्षी का उपचार करके उसे स्वस्थ बना दिया।