सुनहले स्वप्न
सीता की अग्निपरीक्षा के बाद रामचन्द्र जी का अधिकांश परिवार सीता की दीक्षा से अभिभूत होकर विराग की ओर बढ़ रहा था। किन्तु सीता का भाई भामण्डल राज्य की रंगरेलियों में मदहोश हो रहा था। उसने विचार किया था कि मैं प्राप्त स्वर्गीय सुखों का कुछ समय तक और आनंद भोग लूँ फिर धर्म की साधना करूँगा किन्तु आशाएं किसकी पूर्ण होती हैं भामण्डल बसंत के मादक सौन्दर्य का मजा ले रहा था कि अनायास बिजली तड़क कर भामण्डल के ऊपर आ गिरी। वह तत्काल भस्म हो गया। सभी सुनहले स्वप्न उसके भंग हो गये।